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उत्तर प्रदेश

अशांत उत्तर प्रदेश मे बीते 8 साल में 1300 से ज्यादा फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें,सरकार के दामन पर दाग

अशांत उत्तर प्रदेश मे बीते 8 साल में 1300 से ज्यादा फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें,सरकार के दामन पर दाग

 

डॉक्टर सैयद खालिद कैस एडवोकेट

पत्रकार,लेखक, समीक्षक,आलोचक।

 

 

गत दिनों उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का शेर कहलाने वाले मुख्तार अंसारी की इलाज के दौरान हुई मौत ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ की सरकार को निशाने पर ला दिया है। देश के प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखने वाले मुख्तार अंसारी को लाख योगी सरकार माफिया कहती हो लेकिन पूर्वांचल में गरीबों के मसीहा के रूप में जाने जाने वाले मुख्तार अंसारी की मौत पर उनके परिवार सहित खुद उनकी चिट्ठियां इस बात की गवाही देती हैं कि मुख्तार अंसारी और परिवार को पूरा विश्वास था कि जैल अभिरक्षा में उसकी मौत हो सकती है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने लाख न्यायिक दंडाधिकारी जांच के आदेश किए हो लेकिन नतीजे से हर कोई परिचित है पूर्व के मामलों की तरह यह जांच भी जैल प्रशासन को क्लीन चिट ही देगी। खैर बात मुख्तार अंसारी की मौत की जांच की नही बल्कि योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में घटित उन घटनाओं की है जो सरकार पर सवालिया निशान लगाती है जो सरकार के दामन को दागदार करती है।

उत्तर प्रदेश में बीते 7 सालों में कम से कम 10 कुख्यात गैंगस्टर्स की संदिग्ध मौत हो चुकी है। कोई मेडिकल जांच या कोर्ट जाते समय गोलियों से मरा गया। किसी की कस्टडी के दौरान बीमारी से मौत हुई और कई गैंगस्टर्स एनकाउंटर में मारे गए। इस कड़ी में सबसे लेटेस्ट नाम मुख्तार अंसारी का जुड़ा है, जिसका बांदा जेल में कार्डियक अरेस्ट से निधन होना बताया गया है जो कि संदिग्ध है!

 

उत्तर प्रदेश सरकार के दामन पर विकास दुबे से अतीक अहमद और मुख्तार तक के सभी मामले काले निशान छोड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में तमाम गैंगस्टर्स की मौतों पर सवाल खड़े हुए जांच बिठाई गई। लेकिन जांचें खानापूर्ति के अलावा कुछ साबित नही हुई।

यदि हम उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के अस्तित्व में आने के बाद की पुलिसिया कारवाई के आंकड़े की बात करें तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आयेंगे। 20 मार्च 2017 से 15 दिसंबर 2023 तक उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन छह सालों में 10,814 एनकाउंटर किए। जिनमे 194 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए और 5942 घायल हुए। इन कार्रवाई में पुलिसबल के 16 जवान शहीद हुए और 1505 पुलिसकर्मी घायल हुए।

गौर तलब हो कि बीते 8 साल में 1300 से ज्यादा फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को मिली है। एक जानकारी के अनुसार 2012-13 से 2019-20 के बीच NHRC को फर्जी एनकाउंटर की 1,356 शिकायतें मिलीं।

योगी सरकार के शुरुआत साल में उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016-17 में फर्जी एनकाउंटर्स की सिर्फ 4 शिकायतें थीं तो 2017-18 में ये बढ़कर 44 हो गईं। योगी सरकार के 3 सालों 2017 से 2020 के दौरान फर्जी एनकाउंटर की 93 शिकायतें आईं।

 

ऐसा नहीं है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी माफियाओं का अंत कर दिया है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए कहा था कि सरकार के खासमखास पर सरकारी चाबुक कब चलेगा।सरकार कब तक उन पर अपनी कृपा बरसाएगी। समाजवादी पार्टी के मीडिया विभाग द्वारा जारी लिस्ट अनुसार योगी आदित्यनाथ सरकार से कृपा प्राप्त अपराधी अब भी सत्ता के संरक्षण में मौज कर रहे हैं।

समाजवादी पार्टी मीडिया विभाग द्वारा जारी सूची में 

शामिल कुलदीप सिंह सेंगर (उन्नाव, 28 मामले), बृजेश सिंह (वाराणसी, 106 मामले), धनंजय सिंह (जौनपुर, 46 मामले), राजा भैया (रघुराज प्रताप सिंह) (प्रतापगढ़, 31 मामले), उदयभान सिंह (भदोही, 83 मामले), अशोक चंदेल (हमीरपुर, 37 मामले), विनीत सिंह (चंदौसी, 34 मामले), बृजभूषण सिंह (गोंडा, 84 मामले), चुलबुल सिंह (वाराणसी, 53 मामले), सोनू सिंह (सुल्तानपुर, 57 मामले), मोनू सिंह (सुल्तानपुर, 48 मामले), अजय सिंह सिपाही (मिर्जापुर, 81 मामले), पिंटू सिंह (बस्ती, 23 मामले), सन्नी सिंह (देवरिया, 48 मामले), संग्राम सिंह (बिजनौर, 58 मामले), चुन्नू सिंह (महोबा, 42 मामले) और बादशाह सिंह (महोबा, 88 मामले) अभी भी बेखौफ सत्ता के संरक्षण में ऐश कर रहे हैं ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार के दामन पर विकास दुबे से अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी तक के सभी मामले काले निशान छोड़ रहे हैं। यह पक्षपात पूर्ण व्यवहार योगी आदित्यनाथ सरकार के काले पतित चेहरे को उजागर कर रही है।

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