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महाराष्ट्र

चित्र में नहीं चरित्र में राम को ढूंढे!!! (राम नवमी पर विशेष)

चित्र में नहीं चरित्र में राम को ढूंढे!!!

(राम नवमी पर विशेष)

आज राम नवमी का पावन अवसर है इसलिए बारह कलाओं के स्वामी भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव पर संपूर्ण देश में तथा दुनिया भर में बसे हिन्दू धर्म के अनुयायी उनकी पूजा अर्चना कर रहे हैं, उनके भजन गा रहे हैं, उन्हें अपनी अपनी श्रद्धा से नैवेद्ययम अर्पित कर रहे हैं व एक दूसरे को शुभकामनाएं प्रेषित कर रहे हैं। हर साल यह उत्सव आता है हर साल बधाईयाँ होती है लेकिन उनके परम भक्त जो उन्हें अपना ईष्ट देव मानते हैं वे रोज उनकी अराधना करते हैं। पर अधिकतर यही देखा जाता है कि भारी संख्या में रोज राम राम रटने वाले भक्त भी भगवान राम को सिर्फ मुँह तक ही सीमित रख पाए हैं हृदय में नहीं बसा पाते क्योंकि अगर भगवान उनके हृदय में बसते तो उनमें भगवान राम के व्यक्तित्व की कुछ तो छवि झलकती। भारतीय मानव समाज उन्हें त्रेता युग से लेकर आज तक इसलिए याद कर रहे हैं क्योंकि रामायण का सार यही है भगवान राम का जन्म लोक कल्याण और इंसानों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ था। उनके जीवन में जब-जब कठिन  परिस्थितयों ने इम्तिहान लेने चाहा वे तमाम सद्गुणों के प्रत्येक पहलू में श्रेष्ठ सिद्ध हुए। भगवान राम अविश्वसनीय पारमार्थिक गुणों से संपन्न थे। वो ऐसे गुणों के अधिकारी थे जिनमें अदम्य साहस और पराक्रम था, अत्यंत अनुशासित, आज्ञाकारी, अद्भुत बेदाग चरित्र, अतुलनीय सादगी, प्रशंसनीय संतोष, सराहनीय आत्म बलिदान और उल्लेखनीय त्याग का जीवन था
वे परिस्थितियों के अनुकूल, आकर्षक और समायोज्य थे। वे पृथ्वी पर प्रत्येक मनुष्य के हृदय को जानते थे (सर्वज्ञ होने के नाते)। उनके पास एक राजा के बेटे के सभी बोधगम्य गुण थे, और वे लोगों के दिलों में वास करते थे। ऐसी मान्यता है कि उन्हें धरती पर लोगों को धार्मिकता की याद दिलाने के लिए भेजा गया था। पर दुख की बात है कि आज विरले ही होंगे जो सही मायने में भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेकर उन्हें अपने जीवन में आत्मसात कर पा रहे हैं। चारों तरफ नफ़रत का वातावरण परिलक्षित होता है। वर्तमान संदर्भ में जहां हम उनको अपना आदर्श मानकर उनके बताये मार्गों के अनुसरण करने का ढोंग कर रहे हैं वहीं हमारे चरित्र के कारण भगवान राम की आत्मा को आघात पहुंच रहा होगा। जिन पुरुषोत्तम राम ने अपने पिता के दिए वचन का मान रखने के लिए राजयोग का त्याग किया वहीं आज सत्ता की लालसा के लिए धर्म की चादर ओढ़कर, छल के साथ अधर्म का पाठ पढ़ाया जा रहा है। भगवान राम ऐसे सत्ता पिपासुओं को सद्मार्ग दिखाए, ताकि ज़न कल्याण हो। राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

शशि दीप ©✍
विचारक/ द्विभाषी लेखिका
मुंबई
shashidip2001@gmail.com

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